ईगला पिंगला सुषुम्णा में बहता है त्रिवेणी का चक्कर ।
गहरा श्वास दबा कर मारो कुण्डलिनी पर टक्कर ।।
जन्म - जन्म की सोई शक्ति अपनी नींद तजेगी।
प्राणी मात्र के अंतस्तल से अनुपम ज्योति जगेगी ।।
ईगला, पिंगला, सुषुम्णा का मिलन हैं त्रिवेणी का संगम ।
कर स्नान पान तन- मन से , तो छुट जाय भव जंगम ।।
ईऺगला, पिंगला, सुषुम्णा में "शिवोऽहम्" ध्वनि अहर्निश होती है ।
इस युक्ति को जो जन समझे वही श्रेष्ठ योगी है ।।
इसको भूला कर मूढ़ जो वही विषय भोगी है ।।।
इस युक्ति को जान मनुष्य योग युक्त हो जाता है ।
कैवल्य देह हंस का पाकर भव भ्रम से छुट जाता है ॥
🙏🙏शिवोऽहम् शिवोऽहम् 🙏🙏
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