#BirthAnniversary
विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर, कर्नाटक के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में हुआ था। वह पेशे से एक इंजीनियर थे इसलिए आज उनके जन्मतिथि के उपलक्ष्य में अभियंता दिवस मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया को भारत की प्रौद्योगिकी का जनक कहा जाता है। वे ईमानदारी, त्याग, मेहनत इत्यादि जैसे सद्गुणों से संपन्न थे। उनका कहना था, कार्य जो भी हो लेकिन वह इस ढंग से किया गया हो कि वह दूसरों के कार्य से श्रेष्ठ हो।
एक बार मोक्षगुंडम रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे। अचानक उन्होंने उठकर जंजीर खींच दी और रेलगाड़ी रुक गई। यात्री उन्हें भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड भी आ गया। विश्वेश्वरैया ने स्वीकार करते हुए बताया कि उन्होंने ही जंजीर खींची है क्योंकि यहां से कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है। सभी हैरान रह गए कि आखिर रेल में बैठे हुए इस व्यक्ति को कैसे पता चल गया कि आगे पटरी टूटी हुई है। मोक्षगुंडम ने बताया कि उन्होंने रेल की गति में हुए परिवर्तन से पटरी टूटी होने का अंदाजा लगा लिया था। आखिरकार पड़ताल करने पर यह बात सही पाई गई। एक जगह रेल की पटरी के जोड़ वास्तव में खुले हुए थे। यह देखकर लोगों ने उनके बारे में जानना चाहा, तो उन्होंने बताया कि मैं एक इंजीनियर हूं और मेरा नाम डॉ. एम. विश्वेश्वरैया है।
विश्वेश्वरैया मैसूर राज्य में दिन प्रति दिन बढ़ रही गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि समस्याओं को लेकर बहुत चिंतित थे। कारखानों की कमी, सिंचाई के लिए वर्षा जल पर निर्भरता तथा खेती के पारंपरिक साधनों के प्रयोग के कारण विकास नहीं हो पा रहा था। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वेश्वरैया ने काफी प्रयास किए। यह मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की ही देन है कि मैसूर में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया और लड़कियों की शिक्षा के लिए पहल की गई। समाज के संपूर्ण विकास के उनके कार्यों के कारण ही उन्हें कर्नाटक का भगीरथ भी कहा जाता है।
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