#बांस
(Bambusoideae)
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अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में धरती माता को अपनी संतान(बीज) भेंट करने को आतुर एक वृद्ध बांस
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हमारे अंचल में कहते है कि बांस जनम,परण ओर मरण का साथी हैं,बांस की उपयोगिता इंसान हजारों वर्ष से जानता हैं...बांस की दुनियाभर में इसकी 1000 से अधिक प्रजातियाँ है......भारत विश्व में दूसरे नम्बर का बांस उत्पादक देश है.....।
बाँस से वास्तुदोष समाप्त होता है,बड़े बड़े शोरूम वाले अपने द्वार पर बांस का गमला लगा रहे है और जंगल से बांस खत्म होता जा रहा हैं....।
जितना सम्मान भारत में पीपल को मिलता है उतना ही सम्मान चीन में बाँस को मिलता है....जहाँ बाँस के पोधे होते है आकाशीय बिजली गिरने का डर नही रहता....बाँस अन्य पेड़ो की अपेक्षा 30%अधिक आक्सीजन पैदा करता है......बाँस की लकड़ी बहुपयोगी है छोटी-छोटी घरेलु वस्तुओ,सजावटी,फर्नीचर,साड़ियाँ,कागज,नाव, घर, छप्पर, चटाई, कुर्सी, टेबल, पंखा, हेण्डीक्राफ्ट की वस्तुएँ, प्लाई और अब तो ज्वेलरी भी बनाकर महिलाएँ इसका उपयोग कर रही हैं.....अपने दिव्य गुणों के कारण ही बाँस को जलाया भी नही जाता..हमारे मालवा अंचल में कहते हैं कि बांस जलाने से बाँसली रोग हो जाता हैं....।
आओ अधिक से अधिक बांस लगाये..।
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